Ayodhya Ram Mandir:अयोध्या के 12 धाम
अयोध्या को धरती पर सबसे पुराने शहरों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि इसकी स्थापना करीब 9 हजार साल पहले सूर्यवंश के संस्थापक राजा मनु ने की थी। रामायण और अन्य प्राचीन ग्रंथों में भी अयोध्या का उल्लेख मिलता है, जिससे इसकी समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का पता चलता है।
शास्त्रों में अयोध्या का सबसे बड़ा महत्व भगवान राम की जन्मस्थली होने के कारण है।
माना जाता है कि सरयू नदी के पवित्र तट पर स्थित राम जन्मभूमि मंदिर परिसर ही वह स्थान है जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। कुछ ही दिन पहले 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। तभी से पूरा देश राममयी हो गया है। लोगों का अयोध्या की ओर तांता सा लग गया है।
यहां सिर्फ राम मंदिर ही नहीं बल्कि ऐसे बहुत से धाम हैं जहां आपको ज़रूर जाना चाहिए। अगर आप अयोध्या में राम मंदिर जाने का प्लान बना रहे हैं तो इन 12 जगहों पर ज़रूर जाना चाहिए। कौन सी हैं वो जगह…आइए जानते हैं…
हनुमान गढ़ी
हनुमान गढ़ी का निर्माण एक किले की आकृति में हुआ है और करीब 76 सीढ़ियां चढ़ कर यहां पहुंचा जा सकता है। इस तीर्थ नगर में 10वीं शताब्दी के प्राचीन मंदिर स्थित हैं | इसके हर कोने पर वृत्ताकार मोर्चाबंदी की गई है और ऐसा विश्वास किया जाता है कि यह वही स्थान है जहां हनुमान जी एक गुफा में रहे थे और इस नगर की रक्षा की थी |
इस मंदिर में हनुमान जी की एक स्वर्ण प्रतिमा स्थापित है। यह अयोध्या के सबसे सम्मानित स्थानों में से एक माना जाता है | अमूमन हर दिन हजारों श्रद्धालु हनुमान जी के पूजन और हर संकट, बुराइयों से अपनी रक्षा करने के लिए हनुमान गढ़ी के दर्शन करते हैं।
रामकोट
अयोध्या में स्थित रामकोट एक ऊंचे भूभाग पर स्थित है और मंदिरों से परिपूर्ण है। यह अयोध्या के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यहाँ चैत्र मास में (मार्च-अप्रैल) में राम नवमी का पर्व बहुत ही वैभव और धूमधाम से मनाया जाता है।
रामनवमी के पावन दिन में केवल पूरे देश से ही नहीं बल्कि विश्व भर से तीर्थयात्री यहां एकत्र होते हैं और भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
श्री नागेश्वरनाथ मंदिर
भगवान नागेश्वर नाथ जी अयोध्या के प्रमुख अधिष्ठाता माने जाते हैं।
ऐसा विश्वास किया जाता है कि भगवान राम के पुत्र कुश ने भगवान नागेशवरनाथ जी को समर्पित इस सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया था।
यहाँ स्थापित शिवलिंग को बहुत प्राचीन काल का माना जाता है ।
लोक कथाओं के अनुसार, कुश सरयू नदी में स्नान ग्रहण कर रहे थे तभी उनका बाजूबंद पानी में गिर गया। कुछ समय बाद एक नाग कन्या वहां प्रकट हुई और उनका बाजूबंद उन्हें लौटा दिया।
वे दोनो एक दूसरे के प्रेम के वशीभूत हो गए और इसके पश्चात कुश द्वारा उनके लिए इस मंदिर का निर्माण भी कराया गया।
अयोध्या के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और सम्मानित मंदिरों में से एक होने के कारण यहां महाशिवरात्रि के उत्सव पर पूरे देश से बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर का वर्तमान भवन साल 1750 में निर्मित हुआ था।
कनक भवन
टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश) के महाराजा महाराजा श्री प्रताप सिंह और रानी वृषभानु कुंवरि, ने साल 1891 में उत्कृष्टता से अलंकृत इस मंदिर का निर्माण करवाया था ।
मुख्य मंदिर में एक आंतरिक खुला भाग है जहां रामपद का एक पवित्र मंदिर है। यहां तीन जोड़ी मूर्तियां हैं और तीनों ही भगवान राम और सीता की हैं।
सबसे बड़ी मूर्ति की स्थापना महारानी वृषभान कुंवारी द्वारा की गई थी। कनक भवन अयोध्या के बेहतरीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यह भवन भगवान श्री राम जी से विवाह के तुरंत बाद महारानी कैकेयी जी द्वारा देवी सीता जी को उपहार में दिया गया था।
यह देवी सीता और भगवान राम का निजी महल है।
मान्यताओं के अनुसार मूल कनक भवन के टूट-फूट जाने के बाद द्वापर युग में स्वयं श्री कृष्ण जी द्वारा इसे पुनः निर्मित किया गया। माना जाता है कि मध्य काल में इसे विक्रमादित्य ने इसका जीर्णोद्धार करवाया गया।
तुलसी स्मारक भवन
तुलसी स्मारक भवन महान संत कवि गोस्वामी तुलसी दास जी को समर्पित है। नियमित प्रार्थना सभाएं, भक्तिमय सम्मेलन और धार्मिक प्रवचन यहां आयोजित किए जाते हैं।
इस परिसर में अयोध्या शोध संस्थान भी स्थित है जिसमें गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित रचनाओं का संकलन है। तुलसी स्मारक सभागार में हर दिन रामलीला का मंचन किया जाता है जो एक प्रमुख आकर्षण है।
त्रेता के ठाकुर
यह काले राम के मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है, विश्वास किया जाता है कि इसी सुंदर मंदिर में भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था।
कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) के राजा ने लगभग तीन शताब्दी पूर्व इस मंदिर का निर्माण करवाया था। बाद में इंदौर (मध्य प्रदेश) की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका जीर्णोद्वार करवाया ।
यहां स्थापित मूर्तियां काले पत्थर से निर्मित हैं । ऐसा विश्वास किया जाता है कि ये मूर्तियां राजा विक्रमादित्य के युग की हैं।
अयोध्या में जैन मंदिर
अयोध्या नगरी मात्र भगवान राम का जन्मस्थल ही नहीं बल्कि जैनियों के लिए भी बहुत उच्च महत्त्व का स्थान है। विश्वास किया जाता है कि यहाँ पर 5 जैन तीर्थंकरों ने जन्म लिया है।
प्रतिवर्ष, अनुयायी यहां बड़ी संख्या में इन महान संतों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने पहुंचते हैं और विशेष आयोजनों में भाग लेते हैं। पूरे नगर में बहुत से जैन मंदिर भी हैं
स्वर्गद्वार के निकट भगवान आदिनाथ का मंदिर, गोलाघाट के निकट भगवान अनंतनाथ का मंदिर, रामकोट में भगवान सुमननाथ का मंदिर, सप्तसागर के निकट भगवान अजीतनाथ का मंदिर और सराय में भगवान अभिनंदन नाथ का मंदिर दर्शनीय है।
रानीगंज क्षेत्र में एक विशाल जैन मंदिर स्थापित है, इसमें प्रथम तीर्थांकर भगवान आदिनाथ (ऋषभदेवजी) की 21 फुट ऊंची प्रतिमा विशेष रूप से स्थापित है।
मणि पर्वत
ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी घायल लक्ष्मण के उपचार हेतु संजीवनी बूटी के साथ विशाल पर्वत को उठा कर लंका ले जा रहे थे, तो रास्ते में इसका कुछ भाग गिर गया। इससे निर्मित पहाड़ी जो 65 फुट ऊंची है, मणि पर्वत के नाम से जाती जाती है।
छोटी देवकाली मंदिर
नया घाट के निकट स्थित यह मंदिर हिन्दू महाकाव्य महाभारत की अनेकों दंतकथाओं से संबन्धित है।
किवदंतियों के अनुसार, माता सीता अयोध्या में भगवान राम के साथ अपने विवाहोपरांत देवी गिरिजा की मूर्ति के साथ आयीं थीं।
ऐसा माना जाता है कि राजा दशरथ ने एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया और इस मूर्ति को मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया था। माता सीता यहां रोज पूजा करती थीं|
वर्तमान में यह देवी देवकाली को समर्पित है और इसी कारण इसका यह नाम पड़ा।
राम की पैड़ी
सरयू नदी के किनारे घाटों की एक श्रृंखला स्थापित की गई है जो श्रद्धालुओं को एक ऐसा स्थान प्रदान करती है जो यहां अपने पाप धोने और पुण्य कमाने आते हैं। यहां हरे भरे बगीचे भी हैं जो मंदिरों से घिरे हैं।
इस घाट पर श्रद्धालु पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं और ऐसी मान्यता है की इस नदी में डुबकी लगाने मात्र से श्रद्धालुओं के पाप धुल जाते हैं।
सरयू नदी घाट पर जल की निरंतर आपूर्ति करती है और इसका अनुरक्षण सिंचाई विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है।
सरयू नदी
उत्तर प्रदेश के प्रमुख जलमार्गों में से एक, सरयू नदी का उल्लेख प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों यथा वेद और रामायण में मिलता है |
ऐसा विश्वास किया जाता है कि यह पवित्र नदी इस नगर को पुनर्युवा बनाए रखती है और इस धार्मिक नगरी की अशुद्धियों को धो देती है।
विभिन्न धार्मिक अवसरों पर यहां श्रद्धालु वर्ष भर इस नदी में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं।
गुप्तार घाट
सरयू नदी के किनारे स्थित यह वह स्थान है जहां भगवान राम ने जल समाधि ली थी।
राजा दर्शन सिंह ने इसे 19वीं शताब्दी के पहले चरण में निर्मित करवाया था।
यहां घाट पर राम जानकी मंदिर, पुराना चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर तथा हनुमान मंदिर का दर्शन किया जा सकता है।
अयोध्या सिर्फ एक शहर नहीं है, बल्कि यह आस्था, संस्कृति, इतिहास और परंपराओं का एक संगम है। यह एक ऐसा स्थान है, जो आपको अपने अतीत से जोड़ता है, वर्तमान का अनुभव कराता है और भविष्य की आशा जगाता है।