shani dev ji ki aarti : जानिए विशेष लाभ
shani dev ji आरती का महत्व व्यक्ति के जीवन को सफलता, सुख और शांति की दिशा में मदद करता है।
नियमित रूप से शनि देव की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है और उनके द्वारा आए दुखों का समाधान किया जा सकता है।
शनि देव जी की आरती:
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी। नीलांबर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
कृट मुकुट शीश राजित दीपत है लिलारी। मुक्तान की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी। लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी। विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
shani dev ji ki aarti
शनिवार का दिन शनि पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
इस दिन शनि देव को खुश करें वो काम जो शनि देव को पसंद हो, या जिनसे शनि देव प्रसन्न होते हैं। जिन लोगों की जिंदगी में परेशानियां चल रही हैं उनकी परेशानियां समाप्त होगी और बिगड़े काम बनने लगेंगे। तो आप भी शनिवार के दिन इन मंत्रो के जाप से शनि देव को प्रसन्न कर सकते हैं।
शनि देव सामान्य मंत्र:
“ॐ शं शनैश्चराय नमः”
यह मंत्र शनि देव की आराधना और पूजा के दौरान जाप किया जाता है।
यह मंत्र उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपयोगी माना जाता है।
शनि देव के बीज मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शनि देव बीज मंत्र:
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”
यह मंत्र शनि देव की आराधना और पूजा के दौरान जाप किया जाता है। यह मंत्र उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपयोगी माना जाता है।
शनि देव के बीज मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
shani dev ji ki aarti:
शनि देव पूजा का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है। शनि ग्रह को कर्मों का प्रतीक माना गया है और उनकी पूजा से दुखों का निवारण होता है तथा शुभ फल प्राप्त होते हैं।
निम्नलिखित कुछ कारण शनि देव पूजा के महत्व को स्पष्ट करते हैं:
- कर्मों का नियंत्रण: शनि देव का ग्रह कर्मों का प्रतीक होता है। उनकी पूजा से व्यक्ति के कर्मों का नियंत्रण होता है और उनके द्वारा आए दुखों का समाधान होता है।
- दुर्गति का निवारण: शनि देव की कृपा से बुरी दशा और दुर्गति का नाश होता है। उनकी पूजा से व्यक्ति की जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
- उपायों का प्रदान: यदि किसी की कुंडली में शनि के दोष होते हैं, तो शनि देव की पूजा से उनके दोषों का निवारण किया जा सकता है। विधिवत पूजा करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है और उनके दोष कम होते हैं।
- स्वास्थ्य और आरोग्य: शनि देव की पूजा से व्यक्ति के जीवन में आरोग्य की प्राप्ति होती है और बीमारियों का निवारण होता है।
- करियर में सफलता: शनि देव की पूजा से करियर में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होता है। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति का कार्यक्षेत्र मजबूत होता है और वह प्रगति करता है।
- आत्मविकास और संघर्ष: शनि देव की पूजा से व्यक्ति आत्मविकास करता है और संघर्षों के बावजूद भी महत्वपूर्ण लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रेरित होता है।
shani dev ji ki aarti का हिंदू धर्म में विशेष भूमिका है ,
शनि ग्रह अपनी कृपा से हर व्यक्ति की लिए लाभकारी सिद्ध होती है
शनि देव जी की आरती का सही समय:
shani dev ji ki aarti : आरती का सबसे शुभ समय संध्या काल होता है,
सूर्यास्त के बाद की गहरी सांझ में। इस समय आरती करने से शनि देव की कृपा अधिक होती है और उनके आशीर्वाद से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर होती हैं। यहाँ शनि देव की आरती करने का सही समय दिया जा रहा है
- दिन: शनिवार
- समय: सूर्यास्त के बाद की गहरी सांझ (संध्या काल)
- आरती का समय: ब्रह्ममुहूर्त से लेकर सूर्यास्त के बाद की गहरी सांझ तक।
यह समय शनि देव की पूजा और आरती के लिए विशेष रूप से अनुशंसित होता है।
इस समय पर श्रद्धा भावना के साथ आरती करने से शनि देव के आशीर्वाद में वृद्धि होती है और व्यक्ति की जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हनुमान चालीसा