JANEU (जनेऊ)
JANEU (जनेऊ)

JANEU:संस्कार, सुरक्षा और विश्वास का अटूट धागा है ‘जनेऊ’!

JANEU (जनेऊ): भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण प्रतीक

हमारा देश भारत, अपनी विविध संस्कृति और अलग संस्कार के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर ना केवल भाषा और धर्मों का संगम होता है, बल्कि इसके साथ ही यहां के लोग भारतीय संस्कृति के अनूठे पहलुओं के साथ जीते हैं। हम शास्त्र और साइंस दोनों को समान समझते हैं। सनातन धर्म के हर एक कर्म से कहीं ना कहीं विज्ञान जुड़ा हुआ है। आज हम आपको जनेऊ के बारे में बताएंगे। जनेऊ, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह सिर्फ एक धागा मात्र नहीं है बल्कि यह आपके उद्देश्य, आपकी पहचान और आपके कर्त्तव्यों से जुड़ा है। अक्सर लोग इसको एक सामान्य सा कर्म मानते हैं लेकिन यह एक पहचान और जिम्मेदारियों का प्रतीक है। तो चलिए आपको जनेऊ से ज़ुड़ी हर ज़रूरी जानकारी देते हैं….

क्या है जनेऊ (What is Janeu) ?

यज्ञोपवीत यानि जनेऊ की उत्पत्ति और उसके धारण की परम्परा अनादिकाल से ही है। ऐसा माना जाता है कि इसका संबंध तब से है, जब से मानवसृष्टि हुई थी। उस समय सृष्टिकर्ता और परमपिता ब्रह्माजी ने स्वयं जनेऊ धारण किया था। जनेऊ, जो अक्सर उपनयन संस्कार के दौरान पहना जाता है, हिंदू धर्म के अनुष्ठान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, और वैश्य जातियों के पुरुष अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण समय पर पहनते हैं। जनेऊ एक खास विधि के साथ पहना जाता है जो धार्मिक उद्देश्यों और कर्मों की दिशा में संकेत करता है।

JANEU (जनेऊ) का आध्यात्मिक महत्व

जनेऊ में तीन धागे त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक है। बाकी तीन धागे देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक है। कुछ लोगों का ये भी मानना है कि 3 धागे सत्व, रज और तम के प्रतीक होते है। ऐसी मान्यता है कि एक बार जब आप जनेऊ पहन लेते हैं, तो यह आपको जीवन भर किसी भी नेगेटिव एनर्जी या नेगेटिव विचारों से बचाता है।

JANEU (जनेऊ)
JANEU (जनेऊ)

कितने धागों का होता है JANEU (जनेऊ) ?

ब्रह्मचारी यानि कुंवारा पुरुष तीन धागों की जनेऊ पहनता है। वहीं शादीशुदा पुरुष छह धागों की जनेऊ पहनता है। यज्ञोपवीत के छह धागों में से तीन धागे खुद के और तीन धागे पत्नी के बतलाए गए हैं।

JANEU (जनेऊ) में कितनी गांठ होती है ?

जनेऊ संस्कार सोलह संस्कारों में प्रमुख है। जनेऊ में कुल 3 गांठ होती है। जनेऊ की तीन गांठ ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक हैं।

JANEU (जनेऊ)  टूटने से क्या होता है ?

यज्ञोपवीत यानि जनेऊ का कोई धागा टूट जाए या इसे पहने 6 माह से भी अधिक का समय हो जाए, तो इसे आप किसी भी महीने की पूर्णिमा तिथि के दिन बदल सकते हैं। इसके अलावा अक्षय तृतीया, रक्षाबंधन के दिन जनेऊ बदलना बहुत शुभकारी माना गया है। खंडित जनेऊ को धारण किए रहना बहुत अशुभ माना जाता है। इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि इसके धागे गंदे ना हों। अगर जनेऊ के धागे गंदे हो जाते हैं तो भी आपको बदल देना चाहिए।

JANEU (जनेऊ) कान पर क्यों चढ़ाते हैं ?

बाथरूम जाते वक्त जनेऊ दाएं कान में चढ़ाने की प्रथा है। आपने भी खुद या बहुत से लोगों को ऐसा करते देखा होगा। जनेऊ को दाएं कान पर लपेटने का धार्मिक कारण यह माना जाता है कि दायां कान अधिक पवित्र होता है क्योंकि इन पर प्रमुख देवताओं का वास होता है। दूसरा, जनेऊ कभी भी कमर के नीचे नहीं आना चाहिए। नित्य क्रिया के समय जनेऊ का अपमान ना हो, इसीलिए जनेऊ को दाएं कान में लपेटा जाता है। ऐसा माना जाता है कि दाहिने कान पर जनेऊ लटकाने से अशुद्धता का आगमन नहीं होता है। यह सूर्यनाड़ी को भी सक्रिय करता है जो व्यक्ति के चारों ओर उज्ज्वल तरंगों का सुरक्षात्मक आवरण बनाता है और रजस और तमस प्रधान गतिविधियों जैसे – पेशाब और शौच के बुरे प्रभावों से बचाता है।

JANEU (जनेऊ) से जुड़े नियम, विधि और सावधानी

जनेऊ का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत ऊंचा होता है, और इसके साथ ही कुछ महत्वपूर्ण नियम और सावधानियां भी जुड़ी होती हैं जिन्हें लोगों को ध्यान में रखना चाहिए। यह नियम और सावधानियां उन लोगों के लिए हैं जो जनेऊ पहनने की प्रक्रिया को अपनाते हैं।

उपनयन की उम्र: बच्चों का जनेऊ एक निश्चित उम्र में किया जाता है, आमतौर पर 7 से 16 वर्ष के बीच।

आचार्य की दिशा: जनेऊ समारोह को आचार्य या धार्मिक गुरु के मार्गदर्शन में किया जाता है। उनके द्वारा आयोजित किए जाने वाले विधियों का पालन करना चाहिए।

शुद्धि की प्रक्रिया: जनेऊ पहनने के पूर्व, आपको अपने शरीर और मन की शुद्धि करनी चाहिए। इसमें नियमित स्नान, ध्यान, और मनन की प्रक्रिया शामिल होती है।

धागा की महत्वपूर्णता: जनेऊ का धागा एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रतीक होता है। इसे सावधानी से बांधना चाहिए। यह धागा तीन बार बांधा जाता है, जिससे ब्रह्मा, विष्णु, और महेश्वर की प्रतिष्ठा को दर्शाता है।

ध्यान और अध्ययन: जनेऊ पहनने के बाद, आपको ध्यान और अध्ययन में बढ़ना चाहिए। यह विद्या को महत्वपूर्ण बनाता है और ज्ञान की प्राप्ति की दिशा में मदद करता है।

धार्मिक आचरण: जनेऊ पहनने के बाद, आपको अपने धार्मिक आचरणों का पालन करना चाहिए। इसमें नियमित पूजा, मेधावी आचरण, और धार्मिक शिक्षा शामिल होती है।

सावधानी और समर्पण: जनेऊ पहनने के बाद, आपको अपने धार्मिक और नैतिक उद्देश्यों के साथ जीने का समर्पण करना चाहिए। सावधानी और सच्चे मन से अपने धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।

JANEU (जनेऊ) से जुड़ा मंत्र

जनेऊ का शुभ मंत्र –
“यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत् सहजं पुरस्तात् ।
आयुष्यमग्रयं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।”
जनेऊ संस्कार के समय, पिता या आचार्य द्वारा संकल्प मंत्र पढ़ा जाता है, जिसमें यज्ञोपवीत धारण का संकल्प लिया जाता है।
यह मंत्र जनेऊ संस्कार का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह इस संस्कार को पूरा करने में मदद करता है। जनेऊ पहनना एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया है, जो हमारे समाज में धर्म, ज्ञान और आध्यात्मिकता के मूल्यों का प्रतीक होता है।

JANEU (जनेऊ) के मुहूर्त – 2023 में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर के शुभ मुहूर्त

अक्टूबर-
1 अक्टूबर (गुरुवार)
2 अक्टूबर (शुक्रवार)
4 अक्टूबर (रविवार)
6 अक्टूबर (मंगलवार)

नवंबर-
29 नवंबर (बुधवार)
30 नवंबर (गुरुवार)

दिसंबर-
1 दिसंबर (शुक्रवार)
3 दिसंबर (रविवार)
5 दिसंबर (मंगलवार)
7 दिसंबर (बुधवार)

 

नोट – यह मुहूर्त ज्योतिष और पंडितों के सुझावों पर आधारित हैं। विभिन्न स्थानों और परंपराओं के आधार पर बदल सकते हैं। जनेऊ संस्कार को आचार्य या पंडित के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए। इसीलिए किसी योग्य ब्राह्मण के ही सुझाव और सानिध्य में ही जनेऊ संस्कार करें।

About Digital Viber

Check Also

सावन 2023

सावन 2023: पाठ, नियम और उपायों से मिलेगी महादेव की ‘महाकृपा’ !

सावन 2023: इस साल सावन में आपको भगवान शिव की पूजा, उपासना और कृपा का …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *